short stories hindi| short stories with moral for kids | बच्चों के लिए कहानियाँ | कहानियों से सीखे और सिखाएं अच्छी बातें। 200 Short Stories | Moral Stories.
हिंदी शॉर्ट स्टोरी में आपका स्वागत है आज हम आपको आपके बचपन की याद दिलाने वाले है क्योंकि आपको हमारा article short stories in hindi पढ़ कर मज़ा आने वाला है।कहानियां तो सिर्फ बच्चों के लिए होती है लेकिन कभी कभी बड़े बड़े सेमिनार में भी हम कहानियों के माध्यम से समझाते है।
एक टाइम था जब हम अपने घरों में अपने माँ बाप या दादा दादी से रात के वक़्त कहानियाँ सुनते थे वो भी क्या दिन थे लेकिन आजकल हम अपने बच्चों को कहानियाँ नही सुनाते बल्कि उनको मोबाइल दे देते है और youtube पर वे छोटी छोटी कहानियाँ video के माध्यम से देखते है। इससे उनके आंखों की रोशनी पे फर्क पड़ता है।
इसलिए हम आपके लिए कहानियाँ लेकर आये है जो आप अपने बच्चों को पढ़ कर सुना सके या खुद पढ़ाये। आप कहानियों का प्रिंट आउट निकाल कर पढ़ने के लिए दे सकते है।
बच्चों को short stories बताने के लिए ही मेने ये लेख लिखने का फैसला किया ताकि वह अपने पसंद की short story in hindi पढ़े और इन motivational Inspirational Stories in hindi से कुछ सीखा जाए। ये stories सभी आयवर्ग पढ़े लेकिन खास तौर पर बच्चों के लिए लिखा जा रहा है।
गर्मियों के दिन थे जंगल मे एक लोमड़ी बहुत भूखी थी और भूख के कारण वह खाने की तलाश में इधर उधर घूम रही थी ,कुछ देर खोजने के बाद उसे एक खरगोश मिला लेकिन लोमड़ी ने उसे खाने के बजाय उसे छोड़ दिया क्योंकि वह बहुत छोटा था और लोमड़ी का इससे कुछ अलाभला नही होने वाला।
फिर कुछ देर खोजने के बाद लोमड़ी को रास्ते मे एक हिरण मिली, हिरण देख उसके मुंह मे पानी आ गया और उसने हिरण को पकड़ने के लिए दौड़ लगा दी अपनी पूरी ताकत और रफ्तार के साथ पीछा किया लेकिन वह हिरण को पकड़ नही सका चूँकि वह पहेले से खाने की तलाश में थक चुकी थी।
जब उसे कुछ खाने को नही मिला तब उसने उसी खरगोश को खाने के लिए सोच जो उसने छोटा समझ कर छोड़ा था। फिर लोमड़ी उसी रास्ते वापस उस खरगोश की तलाश में गयी लेकिन इस बार वहाँ पर ख़रगोश नही था वह जा चुका था। और फिर लोमड़ी को थक हारकर घर वापस लौटना पड़ा कई दिनों तक उसे खान नई मिला।
हमे क्या सीख मिली
एक जंगल मे एक शेर और एक चूहा रहा करते थे एक बार की बात है जब जंगल का किंग शेर सो रहा था और चूहे ने शेर पर उछल कूद करना चालू करदिया बस अपनी मज़े के लिए ,इससे शेर की नींद खराब हो गयी और वह उठ गया साथ मे गुस्सा भी हो गया।
शेर जैसे ही चूहे को खाने के लिए उठा तो चूहे ने शेर से विनती की तुम मुजे मत खाओ अगर तुम्हें कभी मदद की जरूरत पड़ेगी तो में तुम्हारी मदद को आऊंगा। ये बात सुनकर शेर हँसने लगा और उसे जाने दिया।
कुछ दिन बाद जंगल मे शिकारी आये उन्हें शिकार करने था शिकारियों ने जाल बिछाए जिसमे शेर फंस गया फ़ी शेर को एक पेड़ से बांध दिया गया ,ऐसे में शेर ने खुद को छुड़ाने के बहुत साहस और कोशिस की लेकिन खुद नही छुड़ा सका। शेर ज़ोर ज़ोर से दहाड़ने लगा।
वहीँ पास में एक एक पत्थर की छोटी सी गुफा में चूहें का घर था शेर की दहाड़ चूहें तक गयी तो चूहें को आभास हुआ कि शेर तकलीफ में है और मुजे फौरन देखना चाहिए।
चूहें के फौरन पहुचने पर उसने शेर को जाल में फंसा देख तुरंत चूहे ने जाल काटना चालू किया और शेर कुछ ही देर में आजाद हो गया। शेर ने चूहें को धन्यवाद दीया और दोनों जांगले में एक दूसरे के साथ चले गए।
हमे क्या सीख मिली
इस कहानी से हमे ये सीख मिलती है कि हमे अपने से छोटो को कमजोर नही समझना चाहिए न ही उनका मजाक उड़ाना।
गाँव मे एक बूढ़ा आदमी रहता था उसको दुनिया के सबसे बड़किस्मतों में माना जाता था , सारा गाँव उसके अजीबोग़रीब हरकतों से परेशान था। पूरा गाँव उस बूढ़े से थक चुका था।
क्योंकि वह हमेशा नाराज रहता था ,उदास और शिकायते करता रहता हमेशा खराब मूड में रहता था।
जितना अधिक वह जीवित रहता उतना ही वह दुखी होता और उसके शब्द जहर की तरह कड़वे होते ,लोग उससे बात करने से बचते थे क्योंकि उसका दुर्भाग्य संक्रामक हो गया था।
उससे जो भी मिलता उसका पूरा दिन अशुभ हो जाता , उसके बगल में रहना अस्वाभाविक और अपमानजनक भी था।इतना ज्यादा दुखी होने की वजह से आस पास के लोगो मे दुख की भावना पैदा हो गयी।
लेकिन एक दिन जब वह बूढ़ा आदमी 80 साल का हुआ तो एक अजीब बात हुई ये बात उनलोगों में आग की तरह फैल गयी।
वह बूढ़ा व्यक्ति आज खुश था वह किसी भी चीज़ की शिकायत नहीं कर रहा था। बल्कि वह जिंदगी में पहेली बार मुस्करा रहा था। और यहाँ तक उसका चेहरा भी तरोताज़ा दिखाई दे रहा था।
ये देख कर पूरा गांव उसके घर के सामने इकठ्ठा हो गया और सभी ने बूढ़े आदमी से पूछा की : तुम्हे क्या हुआ है ?
जवाब में बूढ़ा आदमी बोला : कुछ खाश नहीं । अस्सी साल से में खुशी का पीछा कर रहा था और मुझे कभी खुशी नहीं मिली इसकी तलास करना बेकार था । लेकिन अब मेने खुशी के बिना ही जीने का फैसला की इसलिए अब में यही सोच कर खुश हूँ।
हमे क्या सीख मिली
एक बार की बात है एक जंगल मे एक लोमड़ी को बहुत ज़ोर से भूख लगी और उसने पूरा जंगल छान मारा लेकिन उसे खाने को कुछ नहीं मिला , उसने खाने की तलाश बहुत मेहनत से की लेकिन फिर भी उसे ऐसा कुछ नही मिल सका कुछ देर बाद उसको आंखों में अंधेरा छाने लगा भूख के कारण उसके कदम लडख़ड़ा गए और वह जंगल मे पड़ के नीचे ही लेट गया।
तभी थोड़ी देर बाद आंखे खोलने के बाद उसको ऊपर पेड़ पर बहुत ही रसभरे अंगूर नजर आए ये देख उसके मुँह में फौरन पानी आ गया और झट से उठा और अंगूर खाने के लिए उसने एक ऊंची छलांग लागई लेकिन वह अंगूर मुँह में नही पकड़ सका।
इस तरह से उसने कई बार कोशिस की हर बार एक छलाँग लगाई लेकिन हर बार उसके मुँह वह अंगूर नही आये। क्योंकि अंगूर ज्यादा ही ऊँचे थे।
अंत मे लोमड़ी ने फैसला किया कि वह अब और कोसिस नही कर सकती अब उसे घर चले जाना चाहिए जब वह अंगूर को छोड़ कर चला गया तो मन ही मन बुदबुदाया की यकीनन अंगूर खट्टे होंगे।
हमे क्या सीख मिली
एक दिन की बात है , अकबर महाराज ने अपनी सभा मे एक अजीब सा सवाल पूछा,जिससे पूरी सभा के लोग काफी हैरान रह गए । सभी लोग उस सवाल का जवाब जानने की बहुत इछुक थे तभी बीरबल सभा मे दाखिल हुए और पूछा मामला क्या है।
उन्होंने सवाल दोहराया वह सवाल ये है – शहर में कितने तोते है।
बीरबल फौरन मुस्कुराए और अकबर के पास पहुँचे । उन्होंने फिर उत्तर की घोषणा की ; बीरबल का जवाब था – शहर में बीस हजार पाँच सौ तेईस (20523) तोते है ।
सभा और अकबर ये जानना चाहते थे कि ये सवाल का जवाब बीरबल को कैसे पता । तब बीरबल ने उत्तर दिया आपने आदमियों से तोते गिनने के लिए कहें है।
यदि आपके भेजे आदमियों को तोते ज्यादा मिले तो तोते के रिश्तेदार आस पास शहर से मिलने आये होंगे और यदि अगर तोते काम मिलते है तो जरूर अपने शहर से दूसरे शहर अपने रिस्तेदारो से मिलने गए होंगे।
ये जवाब सुनकर राजा को बहुत संतोष मिला और राजा ने बीरबल को माणिक और मोती की जंजीर भेंट की वही उन्होंने बीरबल की बुद्धि की काफी प्रसंशा की।
हमे क्या सीख मिलीइस
एक बार एक शहर मे एक राजकुमारी रहती थी। वह बहुत धनी और सुंदर थी । लेकिन इतनी धनी होने के बाद भी उसकी लालच का कोई अंत नही था उसे सोना ,और कीमती वस्तुएं बहुत ज्यादा पसंद थी।
लेकिन ये बात भी बिल्कुल सच थी कि वह अपनी बेटी को इस दौलत से ज्यादा प्यार करती थी। एक दिन उसे एक Golden fairy (गोल्डन परी) नजर आयी जब वह दौड़ कर पारी के पास गयी तो उसने देखा उसके लंबे सुनहरे बाल उस पेड़ में फाश गए ।
उस औरत ने उस गोल्डन परी की मदद करके आज़ाद किया लेकिन उसकी सुंदरता देख उस राजकुमारी के मन मे लालच आ गया कि मदद के बदले में राजकुमारी से अपनी इच्छाओं को पूरा कर सकती हूँ। परी ने उसके मन की बात जान ली।
उस golden fairy (गोल्डन परी ) ने उसकी इच्छा पूछी तब उस लालची राजकुमारी ने कहा कि में “जो कुछ मैं छूऊं वह सब सोना हो जाए।” परी ने उसकी ये इच्छा पूरी करदी।
राजकुमारी ने अपने घर के बाहर बने भाग को सोने में बदल दिया अब उसका पूरा बाग ,फूल,फवारे, सब सोने के हो गए इस हकीकत को देख वह बहुत खुश हो गयी अब वह हर जगह हाथ लगते हुए महल में वापस जाने लगी और खुशी से देख कर पागल हो गयी
तभी उसके सामने उसकी खूबसूरत लड़की आ गयी उसने खुसी की वजह से अपनी लड़की को हाथों से गले लगा लिया लेकिन कुछ ही देर में उसकी लड़की एक सोने की मूर्ति बन चुकी थी। ये देख कर उसको परी का वरदान याद आया और उसको अपनी सबसे बड़ी गलती का भी एहसास हुआ।
वह राजकुमारी काफी ज़ोर से रोने लगी और उस परी को खोजने लगी लेकिन वो परी कही नजर नई आयी। उसका लालच इतना ज्यादा बढ़ चुका था इस बात का एहसास उसे अपनी बेटी को देख कर हुआ।
हमे क्या सीख मिली
एक गाँव मे नमक बेचने वाला रोज शहर अपने गधे पर नमक बेचने जाता था।वह नमक के भारी बारे गधे पर लाद देता और गधा उसको शहर ले जाने के लिए नदी पार करता था।
एक बार नमक बेचने वाला गधे पर नमक लाद कर नदी पार कर रहा था तबी गधे का पैर लडख़ड़ा जाता है और गधा नदी में गिर जाता है , अब नमक की सारी बोरी गीली हो चुकी थी जिसमे से काफी नमक पानी मे ही घुल चुका । गधे का वजन अब काफी हल्का हो चुका था ।
अगले दिन गधा नदी पार करते वक़्त फिर गिर जाता है और नमक घुल जाता है वजन हल्का हो जाता है । ऐसा ही गधे ने लगातार 7 दिन तक किया अब गधा रोज इस वजह से खुश था। लेकिन अब गधे के मालिक को उसकी चाल समझ आ चुकी थी तभी उसने गधे को सबक सिखाने की सोच।
इस बार उस गधे पर कॉटन रुई से भरे बोरे लादे गए जोकि बहुत हल्के थे।
गधे को रास्ते मे नदी मिल गयी उसने अपनी वही चाल फिर चली ,लेकिन इस बार जब वह पानी से उठा तो उसका वजन काफी भारी हो चुका था और गधे का सिर चकरा गया कि इस बार हल्का क्यों नही हुआ। गधे ने हल्के वजन को भी हल्का करने के चक्कर मे उसे पानी मे गिला करके सारी रुई भारी करली थी।अब गधे को सबक मिल चुका था उसदिन के बाद गधे ने कोई चाल नही चली।
हमने क्या सीखा
इस कहानी से हमे यही सीख मिलती है कि हर बार भाग्य साथ नही देता बल्कि हमे भी अपनी बुद्धि लगानी होती है।
बहुत दिनों की बात है एक बार एक छोटा सा लड़का श्याम अपने बग़ीचे में खेल रहा था। तभी उसे अपने बगीचे के बरगद के पेड़ के पीछे एक क्रिस्टल बॉल मिली तभी बरगद के पेड़ ने कहा ये एक जादुई क्रिस्टल बॉल है जो तमारी इच्छाओं को पूरा करती है।
यह सुनकर वह बहुत खुश हुआ और उसने काफी देर तक अपनी इच्छाओं पर विचार किया लेकिन उसके दिमाग मे ऐसी कोई चीज नही आई जिसे वह तुरंत माँग सके तो उसने उस क्रिस्टल बॉल को अपने बैग में रख लिया जब तक उसकी इच्छा उसे नहीं पता चलती तबतक वो बॉल को बेग में रखेगा।
ऐसे ही सोचते सोचते उसके काफी दिन निकल गए लेकिन उसको नहीं समझ आ रहा था कि वह क्या मांगे। एक दिन उसका दोस्त राम उसे उस क्रिस्टल बॉल के साथ देख लेता है फिर वह बॉल उसके बैग से निकाल लेता है और गाँव मे सभी को दिखाता है।
गाँव के सभी लोग उस बॉल से अपने लिए धन ,महल ,और सोना मांगते है। लेकिन उन सभी लोगो को बस एक इच्छा ही पूरा करने का मौका मिला, आखिर अंत: मे सबको और इच्छाओं को पूरा करने का अफ़सोस रहे गया उन्हें जो चाहिए था वो नई मिला।
वह सभी बहुत दुखी हुए फिर सबने श्याम से मदद मांगने की सोच और श्याम ने उनकी हालत देख कर बॉल से एक इच्छा माँगी की सबकुछ फिर पहेले जैसा हो जाये।
बॉल ने गाँव वालों के महल ,धन,सोना सब गायब करदिया और सबको पहेले जैसा संतुष्ट बना दिया ये सब देख लोगो ने श्याम को धन्यवाद बोला और उसकी सूचभुझ की तारीफ भी की।
हमे क्या सीख मिली
इस कहानी से हमे ये सीख मिलती है कि बहुत ज्यादा दौलत हमे खुशी नहीं दे सकती ।
किसी गाँव के एक तालाब में एक कछुआ और दो हंस रहते थे ,कछुआ और हंस में बहुत गहरी दोस्ती थी ,कछुआ बहुत बातूनी था वह दिन भर हंस से बाते करता रहता था और शाम होते अपने अपने घर को चले जाते।
इस बार बारिश के मौसम में बारिश नहीं हुई और तालाब सूखने लगा अब कछुआ को ये चिंता हो गयी कि गर्मी आते आते ये तालाब और सूख जाएगा तबी उसने दोनों हंस से कहा कि तुम लोग आस पास जाकर कोई भरा तालाब की खोज करो ताकि हम सब वहाँ जाकर रहे सके।
हंस ने एक पास के गाँव मे एक पानी से भरा तालाब देखा लिया था फिर उसने ये बात कछुआ को बतायी कछुआ ने हंस से कहा कि मुझे भी वहाँ ले चलो। हंस ने कहा ठीक है लेकिन हम तमे एक लकड़ी पर लटका कर जाएंगे और तमे हमसे वादा करना होगा कि तुम अपना मुँह पूरे रास्ते बंद ही रखोगे अगर तमने बोलने की कोसिस की तो टीम गिर जाओगे। कछुआ ने वादा किया ।
जब दोनों हंस लकड़ी के एक एक कोने को अपनी चोंच से दबा कर बीच मे कछुआ ने अपने मुँह से लकड़ी पकड़ी हुई थी अब वह उड़ने के लिए रेडी थे ,वे उड़ कर आसमान से जाने लगे ,कछुआ उड़ते वक़्त उनसे बात करना चाह रहा था लेकिन उसको हंस का वादा याद आया तभी बीच मे एक गाँव आया और गाँव के बच्चे बूढ़े सभी कछुए को देख चिल्लाने लगे कि देखो कछुआ आसमान में उड़ रहा है।
कछुआ को भी ये बात सुनाई देने लगी और वह नीचे देखने लगा फिर कछुआ से रह नही गया उसने हंस से बात करने के लिए अपना मुँह खोल वह कुछ कहने के लिए जैसे ही मुँह खोल तो उसके मुँह से लकड़ी छूट गयी और वह उसी गाँव मे जाकर गिर गया ।
ज्यादा ऊँचाई की वजह से कछुआ को बहुत चोट आई और वह कुछ देर बाद मार गया ।
हमे क्या सीख मिली
इस कहानी से हमे ये सीख मिलती है कि अगर बुद्धिमान व्यक्ति भी अपनी ज़बान और चंचलता पर काबू नही रख पाया तो वह भी मूर्ख कछुआ की तरह आसमान से गिर जाएगा।
उत्तराखंड के एक गाँव मे एक मेहरा परिवार रहता था मेहरा जी के दो पुत्र थे एक प्रदीप मेहरा और दूसरा संदीप मेहरा प्रदीप का सपना आर्मी में जाने का था और संदीप का एक अच्छी नौकरी करने का था।
एक दिन मेहरा जी का एक्सीडेंट हो जाता है उस एक्सीडेंट में मेहरा जी की मौत हो जाती है परिवार शोक में डूब जाता है कुछ दिन बाद माँ को गंभीर बीमारी लग जाती है तब दोनों लोग माँ को दादी को सौप कर दिल्ली काम करने चले जाते है।
दिल्ली में उनका एक दोस्त प्रदीप को बर्गर की शोरूम में काम दिल देता है 10 हजार महीने की सैलरी पर और बड़ा भाई वॉचमैन की नौकरी करता है ,बड़े भाई की नौकरी रात 11 से सुबह 7 बजे तक और छोटे भाई की सुबह 11 से 10 बजे तक थी इसलिए छोटा भाई सुबह शाम खाना बनानें का फैसला करता है ।
कई महीनों तक ऐसा चलता रहा और एक दिन प्रदीप मेहरा को अपना सपना याद आया उसने अपने फ़ौज में जाने के सपने को पूरा करने के लिए जो दौड़ शुरू की थी वह अब शहर आकर छूट गयी थी तब उसने एक आईडिया निकाला कि जब वह रात में काम से बस से लौटने की बाजए वह दौड़ कर घर तक आएगा।
प्रदीप मेहरा ने रोज रात में जॉब के बाद 10 किलोमीटर तक अपने घर का सफर तय करता था फिर खुद को साहस दिलाता की वह ये काम कर सकता है वह एक दिन फ़ौज में जरूर जाएगा।
एक दिन रात में प्रदीप अपने घर दौड़ कर जा रहा था तभी एक कार वाले ने उसे देखकर उससे बात की दौड़ते हुए उसका वीडियो भी बनाया और उसके बारे में जानना चाहा प्रदीप ने दौड़ते हुए बात की और उसको दौड़ने का कारण बताया ,तभी कार वाले ने उसे खाने और कार में छोड़ने का आफर भी दिया लेकिन उसने कहा वह घर जाकर खान बनाएगा वार्ना उसका बड़ा भाई भूखा रहे जाएगा । फिर कार वाले ने अपनी कार धीमी रख ली और प्रदीप मेहरा अपने घर चला गया।
कुछ दिन बाद प्रदीप मेहरा को पता चला कि वह इंटरनेट पर बहुत मशहूर हो गया उसकी वजह वह आदमी था जिसने उससे उस रात बात की और उसका वीडियो बनाया था । फिर कुछ दिन बाद एक रिटायर फौजी प्रदीप मेहरा के घर पर आए और उसके जज़्बे को देख कर उसको फौज के लिए ट्रेनिंग और उसकी माँ के इलाज के लिए पैसे तथा उसका ख़र्च भी उठाने को कहा ये सुनकर प्रदीप मेहरा बहुत खुश हुआ।
हमे क्या सीख मिली
इस कहानी से हमे ये सीख मिलती है कि हमे हिम्मत नही हरनी चाहिए बस कड़ी मेहनत और अपने लक्ष्य को पाने का साहस करना चाहिए ,मंजिल खुद ब खुद मिल जाएगी।
एक समय की बात है जंगल के पास एक लकड़हारा रहता था वह जंगल की लकड़ी काट कर अपना जीवन गुजार करता था।एक दिन वह पेड़ पर बैठ लकड़ी काट रहा था तभी उसके हाथ से उसकी कुल्हाड़ी छूट कर नदी में गिर गयी।
उस नदी का बाहों इतना तेज था और साथ ही वह गहरी नदी थी उसने आस पास हाथ डालकर कुल्हाड़ी खोजी लेकिन उसे नही मिली उसने बहुत कोसिस की लेकिन कुल्हाड़ी कही नजर नहीं आयी फिर वह वहाँ बेठ कर रोने लगा उसके रोने की आवाज सुनकर पानी से एक जलपरी निकल आयी और उस लकड़हारे से पूछ क्यों रो रहे हो।
लकड़हारा जलपरी को देख आश्चर्य रहे गया लेकिन उसने अपनी सारी बात उस परी को बतायी तब परी ने उसको एक चांदी की कुल्हाड़ी पानी से निकाल कर दी तो लकड़हारे ने कहा ये उसकी कुल्हाड़ी नहीं है। परी ने दुबारा पानी से एक कुल्हाड़ी दी जो अब सोने की थी लकड़हारे ने फिर कहा ये भी उसकी कुल्हाड़ी नहीं है।
अबकी बार परी ने लकड़हारे को उसकी लोहे की कुल्हाड़ी खोज के दी तब लकड़हारे ने मुस्कुराते हुए कहा ये मेरी है । उसकी इस ईमानदारी को देख कर परी ने उसको चांदी और सोने की कुल्हाड़ी उपहार में भेंट की।
हमे क्या सीख मिली
इस कहानी से हमे ये सीख मिलती है कि ईमानदारी दुनिया की सबसे अच्छी नीति है और ईमानदारी से बहुत अनमोल चीज कोई नही।
एक बार की बात है जब बहुत से गाँव मे पानी का अकाल पड़ गया सभी जानवर पानी की तलाश में इधर उधर भटकने लगे। तभी एक मेंढकों का दल भी पानी की तलाश में भटक रहा था। तभी अचानक दल में से दो मेढ़क एक गहरे गड्ढे में गिर गए।
दल के सभी मेढ़क उन दोनों को गड्ढे में देख कर चिंतित थे ,गड्ढा कितना गहरा था ये देख कर मेढकों ने अपने दोनों दोस्तो से कहा की गहरे गड्ढे से बचने का कोई रास्ता नहीं।और कोशिस करने का भी कोई मतलब नहीं।
सभी मेढ़क उनदोनों को हतोत्साहित करते रहे क्योंकि वह दोनों मेढ़क गड्ढे से बाहर निकलने के लिए लगातार कूदने की कोशिश कर रहे थे।वे दोनों जितनी भी कोशिस करते लेकिन सफल नहीं हो पाते।
जल्द ही दोनों मेढ़क में से एक ने गड्ढे के बाहर खड़े मेढकों की बातों पर विश्वास करना चालू करदिया – की वह कभी गहरे गड्ढे से बाहर नहीं निकल पाएंगे। अंत मे थक हार कर उसकी मृत्यु हो गयी ।
लेकिन उसी गड्ढे का दूसरा मेढ़क अपनी कोशिस जारी रखे था उसने अंत इतनी ऊँची छलांग लगाई की वह गड्ढे से बाहर निकल आया ,ऊपर खड़े सारे मेढ़क देख कर चौंक गए और उस पर आश्चर्य किया कि उसने ये कैसे किया।
अंतर इतना है कि दूसरा वाला मेढ़क बहेरा था उसने बाहर खड़े मेढकों की बाते नही सुनी थी यानी किसी ने भी उससे ये नही कहा कि तू नही निकल सकता ,बहरे मेढ़क को कूदता देख उसे ये लगा कि लोग मेरा इंतिजार कर रहे और मुजे बाहर निकलने के लिए उत्साहित कर रहे । इस विशवास के साथ उसने अपनी हिम्मत जारी रखी और एक ऊंची छलांग लगा दी।
हमने क्या सीख
इस कहानी से हमे ये सिख मिलती है की दूसरों की राय आपको तभी प्रभावित करेगी जब आप उसपर विश्वास करेंगे,बेहतर इसी में है कि आप खुद पर ज्यादा विश्वास कर ,यक़ीनन सफलता आपके कदम चूमेगी।
गर्मियों के दिन थे और एक चींटी पानी की तलाश में इधर उधर घूम रही थी ,कुछ देर घूमने के बाद उसने डोर एक नदी देखी ,नदी देख वह बहुत खुश हो गयी फिर वह पानी पीने के लिए एक छोटी सी चट्टान पर चढ़ गई ,लेकिम वह फिसल कर नदी में गिर गयी।
वह जब डूब रही थी तो उसे एक कबूतर ने देख लिया । कबूतर पास के एक पेड़ पर ही बैठा था उसने चींटी की फौरन मदद की ,चींटी को डूबता देख कबूतर ने झट से एक पत्ता पानी मे गिरा दिया। इस तरह से चींटी की जान बच गयी और वह कबूतर की एहसान मंद हो गयी।
इस घटना के बाद चींटी और कबूतर दोनों अच्छे दोस्त बन गए।और उनके दिन खुशी से बीतने लगे लेकिन एक दिन जंगल मे एक शिकारी आया। उसने पेड़ पर बैठे उसी खूबसूरत कबूतर को देखा और फिर अपनी बंदूक से कबूतर पर निशाना साधने लगा।
लेकिन वही पास में वह चींटी भी मजूद थी वह ये सब देख रही थी चींटी फौरन शिकारी के पास गई और जोर से उसके पैर पे काट जिससे वह दर्द से चिल्लाने लगा और बंदूक भी गिरा दी। आवाज सुनकर कबूतर ने शिकारी को देख लिया ।
कबूतर को एहसास हुआ कि उसके साथ क्या हो सकता था और फिर कबूतर फौरन वह से उड़ गया । जब शिकारी चला गया तो कबूतर ने चींटी के पास आकर उसका धन्यवाद दिया। इस तरह दोनों एक दूसरे के काम आए।
क्या सीखा
इस कहानी से हमे ये सीख मिलती है कि नेक काम कभी बेकार नही जाता ,अच्छे काम करते रहिए वह पलट कर आपके लिए अच्छे साबित होंगे।
एक गांव में एक कुम्हार रहता था जो मिटटी के मटके बनाया करता था उस कुम्हार का एक बेटा सुरेश भी था जो अपने पिता के साथ मटके बनता था , सुरेश की माँ इस कुम्हार के काम से खुश नहीं थी वह सुरेश को अक्सर शहर में काम करने का दबाव डालती लेकिन सुरेश ये बोलता की उसकी ख़ुशी इसी काम में है।
सुरेश की माँ चिंतित थी क्यूंकि जल्द ही सुरेश की शादी होने वाली थी और कुछ दिन बाद सुरेश की शादी के लिए घर सजा दिया गया गाँव वालो की उपस्थि में शादी हो गयी आभा नाम की लड़की से विवहा संपन्न हुआ।
एक दिन सुरेश की माँ ने आभा से भी यही बात कही की उसका बेटा उसकी बात नहीं मानता वह शहर नहीं जाता काम के लिए उसने आभा को कहने को बोला , अगले दिन आभा सुरेश के पास गयी और उसने शहर जाने की बात कही लेकिन सुरेश मिटटी के मटके बनाने में खुसी जाहिर करते हुए माना करदिया।
इस लगन को देख आभा समझ चुकी थी की उनके पति को ये काम बहुत पसंद है तभी आभा ने सुरेश के हाथो से बनाये एक लम्बे सुराई वाले मटके को देख उसने तारीफ की और कहा अगर आप इसे मेले में बेचेंगे तो बहुत ज्यादा पैसे मिलेंगे ये सुनकर सुरेश उत्साहित हुआ उसने और मटके बनाये और उस पर चित्रकारी करके उसको रंग दिया।
फिर वह मेले ले जाकर मटके बेचने के लिए खड़ा हुआ उसके सारे मटके शाम तक बिकचुके थे उसने घर आकर अपने पिता को बहुत ज्यादा पैसे दिए उसी रात सुरेश ने आभा से पूछा की अगर हम मिटटी की फ्रिज बनाये यानी मिटटी की अलमारी जिसमे सब्ज़ी राखी जा सके जो बिना बिजली के चलती हो ,आभा ने बोलै क्या आप ऐसी अलमारी बना सकते फिर हम और जयदा पैसे कमा सकते है।
अगले दिन सुरेश ने 4 मिटटी की अलमारी बनायीं और मेले में ले जाकर बेचना शुरू किया लोगो ने इस किस्म की अलमारी पहेली बार देखि उसकी सारी अलमारी बिक गयी एक रिपोर्टर ने उस अलमारी का फोटो खींच केर न्यूज़ में छापा अब सुरेश को अलमारी के लिए आर्डर आने लगे लोग उसके घर जाकर उससे अलमारी खरीदना चाहते थे। ये सब माँ को देख अपनी गलती का एहसास हुवा और अपनी बहु आभा को धन्यवाद दिया।
हमने क्या सीखा
इस कहानी से हमे ये सबक मिलता है की हमे अपने काम में फोकस करना चाहिए और हमे किसी के काम को और उत्साहित करना चाहिए ,नए नए आईडिया को भी काम में लाना चाहिए।
एक बार की बात है, जगदीश नाम का एक युवा लड़का अपने माता-पिता के साथ एक छोटे से गाँव में रहता था। जगदीश अपने शरारती स्वभाव के लिए जाना जाता था और हमेशा मुसीबत में पड़ने के तरीके ढूंढता था। एक दिन, जंगल में खेलते समय, वह एक जादुई टोकरी पर ठोकर खा गया। उस टोकरी के बारे में जाने के लिए जिज्ञासु होकर , उसने उस पर चढ़ने का फैसला किया, और उसके आश्चर्य के लिए, टोकरी उसे बादलों में एक विशाल महल तक ले गया।
महल में, जगदीश का सामना एक विशालकाय व्यक्ति से हुआ जो सोने और कीमती रत्नों के खजाने की रखवाली कर रहा था। विशाल व्यक्ति ने दयालु होने के नाते, एक शर्त पर अपने खजाने को जगदीश के साथ साझा करने की पेशकश की – कि वह खजाने को कभी चोरी नहीं करेगा। जगदीश बहुत खुश हुआ और उसने ये शर्त मान ली।
हालाँकि, लालच जगदीश पर हावी हो गया, और वह कुछ सोना चुराने के प्रलोभन का विरोध नहीं कर सका। विशाल व्यक्ति ने उसे इस हरकत में पकड़ लिया और आग बबूला हो गया। उसने जगदीश का पीछा किया, और अराजकता में, टोकरी नष्ट हो गया, और विशाल व्यक्ति टोकरी नष्ट होने की वजह से गिर गया। और अब जगदीश घर वापसी नही जा सकता था ।
अपने कार्यों के लिए दोषी महसूस करते हुए, जगदीश ने चोरी किए गए खजाने को महल को वापस कर दिया और वादा किया कि वह लालच को फिर कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने देगा।
तब से, जगदीश एक बदला हुआ व्यक्ति बन गया और उसकी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के लिए उसको उस खजाने वाले महल का राजा बना दिया गया । उसने सीखा कि अपनी बात रखना और लालच के प्रलोभन का विरोध करना महत्वपूर्ण है।
विशाल व्यक्ति ने कुछ महीनों बाद उसे एक टोकरी बना कर दी जिसके जरिये वह अपने गाँव वापस आ सका और साथ मे खजाना भी दिया । जगदीश ने वह खजाना पूरे गाँव मे बाटा
इस कहानी से आपने क्या सीख
कहानी का नैतिक: ईमानदारी और सत्यनिष्ठा ऐसे गुण हैं जिनका हर समय पालन किया जाना चाहिए। लालच क्षणिक सुख दे सकता है, लेकिन अंत में यह विनाश की ओर ले जात
यहाँ आपके लिए एक छोटी जर्मन कहानी है:
एक बार टॉम नाम का एक छोटा लड़का था जो रोमांच का सपना देखता था। एक रात उसने एक विशेष सपना देखा – उसने चाँद की यात्रा का सपना देखा। चांद के बारे में किताबों में पढ़ी और फिल्मों में देखी गई कहानियों से टॉम मुग्ध हुए और उन्होंने फैसला किया कि वह वास्तव में वहां की यात्रा करना चाहते हैं।
बहुत जोश और रचनात्मकता के साथ, टॉम ने चाँद पर अपनी यात्रा की तैयारी शुरू कर दी। उसने अपने दोस्तों की मदद से एक छोटा रॉकेट बनाया और उसे चमकीले रंगों में रंगा। फिर उन्होंने अपनी यात्रा की तैयारी के लिए चंद्रमा के बारे में जानकारी खोजी, नक्शों और तस्वीरों का अध्ययन किया।
बहुत लंबे समय के बाद एक दिन यह आखिरकार हुआ। टॉम अपने रॉकेट में चढ़ गए और आकाश में लॉन्च हो गए। यह कई चुनौतियों के साथ एक साहसिक यात्रा थी, लेकिन टॉम ने हार नहीं मानी। उन्होंने तारों के माध्यम से उड़ान भरी और ग्रैविटी का अनुभव किया। उसने चाँद को करीब से देखा और उसकी सुंदरता से अभिभूत हो गया।
जब टॉम अंत में चंद्रमा पर उतरा, तो वह लुभावनी चंद्र परिदृश्य पर मोहित हो गया। वह सैर के लिए गया, चाँद की चट्टानों को इकट्ठा किया और यहाँ तक कि अजीब पौधों की खोज की जो केवल चाँद पर मौजूद हैं। उन्होंने चंद्रमा पर सूर्योदय और सूर्यास्त देखा और रहस्यमय दृश्यों से मंत्रमुग्ध हो गए।
टॉम कई दिनों तक चाँद पर रहे और उनके भुलाया न जसकने वाला रोमांच थे। आखिरकार उन्होंने फैसला किया कि यह पृथ्वी पर लौटने का समय है। वह अपने रॉकेट में वापस आ गया और वापस पृथ्वी पर उड़ान भरी ।
जब वह सुरक्षित रूप से घर वापस आया, तो परिवार और दोस्तों ने उसका उत्साहपूर्वक स्वागत किया। टॉम ने उन्हें चाँद पर अपने अनुभवों और उन सभी अद्भुत चीजों के बारे में बताया जो उन्होंने देखी और अनुभव की थीं।
उस दिन से, टॉम को उनकी साहस और कल्पना की भावना के लिए प्रशंसा मिली। वह खुश था कि उसने चाँद पर जाने के अपने सपने को साकार कर लिया है और उसका चंद्र साहसिक कार्य हमेशा उसके दिल में एक क़ीमती स्मृति बना रहेगा।
इस कहानी से क्या सीख मिलती है
और इसलिए टॉम की चंद्रमा की अविश्वसनीय यात्रा की कहानी समाप्त हो गई, यह दिखाते हुए कि सपने सच हो सकते हैंयदि आप उन पर विश्वास करते हैंऔर उनके लिए कड़ी मेहनत करते हैं।
एक बार की बात है, एक हलचल भरे मुस्लिम बाजार में अली नाम का एक लड़का स्कूल के बाद घर जा रहा था। जब वह एक व्यस्त सड़क से गुजर रहा था, उसने जमीन पर एक छोटा सा बटुआ पड़ा देखा। उसने उसे उठाया और खोला तो उसमें काफी रकम और कुछ पहचान पत्र मिले।
अली जानता था कि बटुआ किसी का है और उसे उसके सही मालिक को लौटाने की जिम्मेदारी का एहसास हुआ। उन्होंने इस्लाम की उन शिक्षाओं को याद किया जो ईमानदारी और सत्यनिष्ठा पर जोर देती हैं। एक पल की हिचकिचाहट के बिना, अली ने मालिक को खोजने और बटुआ वापस करने का फैसला किया।
उसने इधर-उधर देखा, लेकिन कोई ऐसा नहीं मिला, जो खोया हुआ बटुआ ढूंढ रहा हो। अली ने स्थानीय मस्जिद में जाकर इमाम से मदद मांगने का फैसला किया। वह मस्जिद में गया और इमाम को स्थिति के बारे में बताया, जिसने अली की ईमानदारी के लिए उसकी सराहना की और मालिक का पता लगाने में उसकी मदद करने के लिए तैयार हो गया।
इमाम और अली ने बटुए में पहचान पत्रों की सावधानीपूर्वक जांच की और एक फोन नंबर पाया। उन्होंने नंबर पर कॉल किया और Mr. Ahmad नाम के एक व्यक्ति ने फोन उठाया। अली ने समझाया कि उसे Mr. अहमद का बटुआ मिल गया है और वह उसे वापस करना चाहता है।
अहमद बहुत खुश और बेहद आभारी थे। उन्होंने समझाया कि उन्हें अभी एहसास हुआ था कि उनका बटुआ खो गया था और वह पैसे और महत्वपूर्ण कार्डों के बारे में चिंतित थे। उसने बटुआ लेने के लिए अली से मस्जिद में मिलने की व्यवस्था की।
जब अहमद मस्जिद पहुंचे, तो अली जैसे युवा लड़के को इतनी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा दिखाते हुए देखकर वे चकित रह गए। उसने अली को बहुत धन्यवाद दिया और उसे उसके अच्छे काम के लिए इनाम देने की पेशकश की। हालांकि, अली ने यह कहते हुए विनम्रतापूर्वक इनाम को अस्वीकार कर दिया कि वह केवल इस्लाम की शिक्षाओं का पालन कर रहा था और जो सही था वह कर रहा था।
अहमद को गहरा स्पर्श हुआ और उन्होंने आभार व्यक्त करने पर जोर दिया। उसने अली को अपने घर बुलाया और उसे अपने परिवार से मिलवाया। वे सभी अली की सत्यनिष्ठा और ईमानदारी की प्रशंसा करते थे और अली को अपने कार्यों पर गर्व महसूस होता था।
उस दिन से, अली और मिस्टर अहमद अच्छे दोस्त बन गए, और मिस्टर अहमद अली के गुरु बन गए, जिन्होंने अली को उनकी पढ़ाई और करियर में मार्गदर्शन दिया। अली के ईमानदारी के कार्य ने उसे न केवल सही काम करने का आनंद दिया बल्कि आजीवन आशीर्वाद और मित्रता भी प्रदान की।
अली की ईमानदारी और ईमानदारी की कहानी समुदाय में फैल गई और वह दूसरों के लिए एक आदर्श बन गया। उन्होंने इस्लाम की शिक्षाओं का पालन करना जारी रखा, हमेशा अपने कार्यों में ईमानदार और ईमानदार होने का प्रयास किया।
अली के खोए हुए बटुए की कहानी और उसे उसके असली मालिक को लौटाने का उसका निर्णय समुदाय के लिए एक मूल्यवान सबक बन गया, जिसमें ईमानदारी, अखंडता और दैनिक जीवन में इस्लामी शिक्षाओं का पालन करने पर जोर दिया गया। यह सभी के लिए एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है कि एक मुसलमान होने का सही सार महान मूल्यों को धारण करना और ईमानदारी और धार्मिकता के साथ आचरण करना
एक बार एक लोमड़ी जंगल में घूम रही थी। उसे भूख लगी थी और उसने खाने की तलाश में जंगल में घूमना शुरू कर दिया। उसने जंगल में एक मुर्गा देखा, जो एक अंडा दे रहा था। लोमड़ी ने सोचा कि वह मुर्गा खा जाएगी और अंडा भी मिल जाएगा। लेकिन उसने सोचा कि अगली बार क्या होगा जब वह फिर भूख लगेगी। वह अंडा छोड़ दिया और चल दी।
उसी दिन, लोमड़ी ने एक और मुर्गा देखा जो चोटी से गिर गया था। वह बहुत चोटील हो गया था और उसे ठंड भी लग रही थी। लोमड़ी ने सोचा कि वह मुर्गा खा जाएगी। लेकिन इस बार उसने सोचा कि यदि वह उस मुर्गे को थोड़ा घर ले जाती है और उसकी देखभाल करती है, तो वह बाद में बदले में शायद कुछ मदद पा सकती है। उसने मुर्गे को घर ले जाकर उसे दूध दिया और उसकी देखभाल की। धीरे-धीरे मुर्गा ठीक हो गया और उसने उसे आजीविका के लिए आवश्यक अनुसंधान करना सिखाया।
कुछ समय बाद, उस लोमड़ी को एक बार फिर भूख लगी और वह फिर से जंगल में घूमने लगी। इस बार उसे अपनी मदद करने के लिए उस मुर्गे की याद आयी। वह उस मुर्गे को ढूंढने लगी और उसे ढूंढते-ढूंढते वह एक ख़तरनाक शेर के सामने आ गई। लोमड़ी बहुत घबराई थी, लेकिन वह याद रखती थी कि वह अपने कर्तव्य का पालन करना चाहती थी।
वह शेर के सामने खड़ी हो गई और शेर के आगे अपने आप को बचाने के लिए लड़ने की जगह, उसने शेर को एक प्रश्न पूछा। उसने पूछा, “आपको यदि एक मुर्गा और एक लोमड़ी दोनों के बीच चुनना होता है, तो आप क्या चुनेंगे?” शेर ने बड़ी सोच समझकर उत्तर दिया, “मैं एक मुर्गा चुनूंगा, क्योंकि उसका शिकार मेरे लिए ज्यादा महत्वपूर्ण होगा।” लोमड़ी ने शेर को धन्यवाद कहा और चली गई। यह उसे दिखाई दिया कि अपने कर्तव्य का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण होता है, भले ही वह कितनी भी मुश्किल हो।
लोमड़ी ने उस मुर्गे को ढूंढ लिया और उसने उसे बताया कि उसकी मदद से उसने अपना कर्तव्य पूरा कर लिया है। मुर्गा बहुत खुश था कि उसने लोमड़ी की मदद की थी और उसकी मदद से वह एक अच्छी काम की गई थी।
Moral of the Story : यह कहानी हमें यह बताती है कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए, भले ही वह कितना भी मुश्किल हो। हमें हमेशा अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए और उन्हें पूरा करने के लिए प्रयास करना चाहिए। इसके अलावा, हमें यह भी सीख मिलती है कि एक अच्छा दोस्त हमेशा हमारी मदद करता है और हमें सहायता करता है।दिलचस्प एक मिनट की कहानी. एक छोटी लड़की अपने दोनों हाथों में दो सेब पकड़े हुए थी। फिर उसकी माँ ने एक माँगी। छोटी लड़की ने तुरंत एक सेब खाया और फिर बाकी दो। उसकी माँ ने निराशा के साथ अपनी बात वापस रखी। छोटी लड़की ने अपनी माँ को यह कहते हुए एक हाथ दिया, यह है अधिक मीठा। माँ ने तुरंत बेटी को गले लगाया और चूमा।
Moral of the Story : कभी भी किसी को तुरंत जज न करें। देखने के लिए धन्यवाद!नमस्कार ये एक छोटी कहानी है . एकता में ताकत एक आदमी के चार बेटे थे जो हमेशा एक-दूसरे से लड़ते रहते थे, आदमी ने उन्हें सबक सिखाने का फैसला किया, उसने एक तरकीब सोची और कहा कि मेरे लिए लाठियों का एक बंडल लाओ और तुम्मे से इसे कोन तोड़ सकता है सबने कोशिश की। लेकिन उनसे वो लाठियों का बंडल नहीं टूटा.
उन्हें असफल होने पर उस आदमी ने बंडल खोल दिया और उन्हें एक-एक करके लाठियां दीं, जिसे उन्होंने आसानी से तोड़ दिया, आदमी ने कहा कि यदि आप एकजुट हो कर रहेंगे तो आप अपने दुश्मनों से मुकाबला कर पाएंगे,
लेकिन अगर आप आपस मे लड़ेंगे और एक-दूसरे से दूर रहेंगे तो आपकी कमज़ोरी आपको नुकसान पहुंचाएगी। उनके बेटों ने कभी दोबारा लड़ाई नहीं की.
Moral of tale story: हमे एक जुट होकर रहेना चाहिए ताकि कोई भी आपको तोड़ ना सके ,एक जुटता मे ही शक्ति है.
एक बार एक गांव मे सारा नाम की एक लड़की रहती थी। वह कभी भी अपनी चीज़े किसी को नही देती थी। अपने दोस्तों को भी नहीं देती थी। एक दिन वह अपनी क्लास के दोस्तो के साथ पिकनिक पर गयी.
पिकनिक मे वह दोपहर के भोजन के लिए फल लेकर आई थी। लेकिन अचानक वह नीचे गिर गई और उसके सारे फल नीचे गिर गए, वह बहुत जोर-जोर से रोने लगी। उसका एक सहपाठी, रोहन, उसके पास आया और उसने कहा, रोओ मत सारा। तुम मेरे सैंडविच खा सकती हो। सारा ने रोहन से पूछा, तुम अपना खाना मुझे क्यों दे रहे हो ? रोहन ने कहा , एक दोस्त दूसरे दोस्त के काम आता है. हमे अपनी चीज़े एक दूसरे के साथ साझा करना चाहिए .
Moral of tale story:हमेशा लोगो की परवा करनी चाहिए sharing is caring साझा करना ही देखभाल है एक दूसरे की.
गांव वाली और उसके सपने ये एक बहुत ही अनोखी कहानी है उससे सभी बच्चों को दिन मे सपने न देखने की सीख मिलती है। एक समय की बात है, गाँव में राधा नाम की एक सब्ज़ी वाली रहती थी। वो अपनी सब्ज़ी को बेचकर पैसे कमाती थी जिससे उसका खर्चा चलता था।
एक दिन की बात है, के वह अपनी सब्ज़ी लेकर गांव के बाज़ार मे बेचने निकल पड़ी. और अपनी टोकरी सर पे रख के निकल गई , रास्ते से ही वो दिन मे सपने देखने लगी अगर उसकी सारी सब्ज़ियां बिक जाएंगी तो और उनसे जो पैसा मिलेगा वह उस पैसो का क्या करेगी.
राधा मन ही मन कई चीज़े सोचने लगी। राधा ने मुर्गी खरीदने और उसके अंडे बेचने की सोची। उसके बाद उसी पैसे से वो एक केक लेना चाहती थी, सेब की एक टोकरी, और एक अच्छी फैंसी ड्रेस भी लेना चाहती थी और यहां तक कि वह रास्ते मे ही एक नया घर खरीदने का सपना देखने लगी। इस प्रकार वह सपने मे ही कम समय से अमीर बनने की योजना बनाने लगी.
अपने सपनो के उत्साह में, वह अपने साथ ले जा रही सब्ज़ी टोकरी के बारे में भूल गई और सब्ज़ियां धीरे धीरे कर के नीचे गिरने लगी। अचानक, उसने महसूस किया कि सब्ज़ियां नीचे गिर रही है और जब उसने अपनी टोकरी को is देखा तो टोकरी खाली थी। ये देखकर वो रोने लगी और उसे ये अहसास हुआ के दिन मे सपने देखने से वह सब भूल गई उसको अपनी भूल का पछतावा होने लगा।
यह कहानी बच्चों के लिए नैतिक कहानियों में से है, जो लोग लालच की बात करते है! बहुत दिनों पहले की बात है एक झील के पास एक मोर रहता था, जो की काफ़ी खास था। और बहुत सुन्दर भी, उसके सुंदर सुनहरे पंख थे। उसी झील के पास एक बूढ़ी औरत अपनी दो बेटियों के साथ रहती थी।
बहुत ज़्यादा मेहनत करने के बाद भी वे बूढ़ी औरत अपना परिवार बहुत मुश्किल से चलती थी। एक दिन, मोर ने सोचा: शायद मैं उनकी कुछ मदद कर सकूं, अगर मैं उन्हें हर दिन एक सुनहरा पंख दे दूं जिसे बेच कर वह अपने परिवार के जीने के लिए पर्याप्त पैसा प्राप्त कर सकती है.
अगले दिन मोर उस बुढ़ि औरत के पास गया। उसे देखकर बूढ़ी औरत ने कहा, “मेरे पास तुम्हें देने के लिए कुछ नहीं है!” लेकिन ऐसा कहने पर मोर ने कहा, “लेकिन, मेरे पास तुम्हारे लिए कुछ है!” और समझाया कि मोर उसके लिए क्या कर सकता है!
बुढ़िया और उसकी दोनो बेटियाँ सोने का पंख बेचने के लिए बाजार गई थीं। पंख बेच कर जो पैसा उनके हाथ मे आया उसे देख कर वह बहुत खुश होए।
मोर दिन-ब-दिन बुढ़िया और उसकी दोनो बेटियों की मदद करता रहता। दोनो बेटियाँ मोर के साथ खेलना पसंद करती थीं, बरसात और ठंड के दिनों में उसकी देखभाल करती थीं! जैसे-जैसे समय बीतता गया, बूढ़ी औरत और लालची होती गई! उसने सोचा भला एक पंख उसकी इतनी मदद कैसे कर सकता है? “जब कल मोर आ जाए, तो हमें मोर के सारे पंख तोड़ देने चाहिए!” उसने अपनी दोनों बेटियों को बताया।
ऐसी बात सुनने पर, उसकी दोनो बेटियों ने मदद करने से इनकार कर दिया। अगले दिन बुढ़िया ने मोर के आने का इंतजार किया। और जैसे ही मोर आया, उसने मोर के अगले हिस्से को पकड़ लिया और उसके पंखों को तोड़ना शुरू कर दिया।
जैसे ही उसने उन्हें तोड़ा, पंख सफेद हो गए। बुढ़िया रो पड़ी और मोर को जाने दिया। इस पर मोर ने कहा की, “तुम लालची हो गई हो! जब तुमने मेरी इच्छा के बिना मेरे सुनहरे पंख तोड़ दिए, तो वे सफेद हो गए! इतना कहकर मोर गुस्से में वहाँ से उड़ गया ,फिर कभी नहीं दिखायी पड़ा
Moral of tale story : लालच बुरी बला है हमे कभी भी लालच नही करनी चाहिए.
बहुत समय पहले की बात है एक गांव में एक बूढ़ा दर्ज़ी रहता था. और उसके पास ही जंगल में एक हाथी रहता था हाथी बहुत ही दयालु किस्म का था वह हाथी किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाता था एक दिन गांव वालो ने हाथी की दावत खाने के लिए की, जब हाथी वहा आया तो उस दिन दर्ज़ी का दिमाग खराब था दर्ज़ी को कुछ सूझा उसने हाथी की सूंड पर सुई चुभा दी।
सुई काफी नुकिली होने के कारण हाथी को काफी ज्यादा दर्द और नुकसान झेलना पड़ा और उसकी इस हरकत से हाथी बहुत परेशान हुआ, दर्जी को सबक सिखाने के लिए हाथी अपने दिमाग में कुछ सोचने लगता है। और सोचता है कैसे दर्ज़ी को मज़ा चखाए.
तभी हाथी एक योजना बनाता है , गुस्से मे आया हाथी एक गंदे तालाब के किनारे जाता है. और अपनी सूंड में बहुत सारा गंदा पानी भर के लाता है. और वह अपनी सूंड में भरा सारा पानी दर्ज़ी की दुकान पर उसके साफ-सुथरे कपड़ो और दर्जी के ऊपर फेंक देता है , दर्ज़ी की दुकान गंदी हो जाती है और दर्ज़ी के सारे कपड़े खराब हो जाते हैं।
जिससे दर्ज़ी बहुत दुखी होता है और वह समझ जाता है उसके बाद दर्ज़ी हाथी से माफी मांगता है और हाथी को केला खिलाता है, हाथी वापस फिर दोबारा से जंगल की ओर चल पड़ता है।
सालो पहले जंगल में सारे जानवर अपना अपना नाच, गाना, अभिनय की प्रतिभा दिखाने के लिए इकट्ठा हुए जब सारे जानवर आ गए सब ने अपनी अपनी प्रतिभा दिखाई, और जब बंदर का नंबर आया तब उसे नाचने के लिए कहा गया, बंदर वैसे भी उछल कूद और अपनी कला बाज़ियो में माहिर था. उसने अपने नाच से सबका खूब मनोरंजन किया और उनके दिलो को लुभा लिया.
सबने बंदर की खूब तारीफ करी सब लोगो ने बंदर को ही एक अच्छा निर्थक मान लिया. ऊंट से बंदर की तारीफ देखी ना गई. ऊट ने भी नाचना शुरू कर दिया ऊंट का नाच बिल्कुल बेतुका और बहुत बेढंग था. उसका नाच किसी को पसंद नहीं आया और सब ने उसकी खूब बुराई की. ऊट ने ईर्ष्या से भरकर नाच किया उसने बंदर से जलन में आकर ऐसा किया. ऊंट को इसलिए दंड के रूप में जंगल से निकाल दिया गया.
गांव में एक गरीब धोबी रहता था. उसके पास एक गधा था. गधा काफी कमज़ोर था क्योंकि उसे बहुत कम खाने पीने को मिलता था. धोबी गरीब होने की वजह से उसे सही से खिला नहीं पता था.
एक दिन धोबी को एक मरा हुआ बाघ मिला. उसने एक तरकीब लगाई उसने सोचा क्यों ना मैं बाघ की खाल को गधे के ऊपर बांध दूं और अपने पड़ोसियों के खेत में चरने के लिए इसे छोड़ दिया करूंगा. किसान समझेंगे कि वे सचमुच का बाघ है. और उससे डर के दूर रहेंगे. इस तरकीब से गधा खेत आराम से चर लेगा . जिससे उसका पेट भर जाएग और वे तंदुरुस्त रहेगा.
धोबी ने तुरंत अपनी इस योजना पर अमल कर डाला. और उसकी यह योजना काम कर गई. एक रात की बात है गधा रात में खेत चर रहा था. उसे किसी गधी की रेंकने की आवाज सुनाई दी. इस आवाज ने गधे के अंदर इतना जोश भर दिया था, कि वह भी जोर-जोर से चिल्लाने लगा.
गधे की आवाज सुनकर किसानों को उसकी असलियत का पता चल गया और किसानों ने गधे की खूब पिटाई की.
Moral of tale story: इसलिए कहा गया है हमें कभी भी किसी से अपनी सच्चाई नहीं छुपानी चाहिए.
एक घने जंगल में एक कछुआ और एक खरगोश रहते थे. दोनों बहुत गहरे मित्र थे. खरगोश को अपनी चाल पे बहुत घमंड था.वो सभी जानवरो के साथ दौड़ की चुनौती देता रहता,कुछ जानवर उस पर हसते. और कुछ उसकी चुनौती को कबूल करते, एक दिन वह कखरगोश की चाल को देख कर कहने लगा.
क्यों न हम दोनों दौड़ लगा कर देखते हैं. कछुए ने उसकी इस चुनौती को कबूल किया. खरगोश ने कहा जो भी पहले उस रेखा को पार कर लेगा वह विजयी कहलाएगा.
खरगोश और कछुए की दौड़ को देखने के लिए जंगल के सारे जानवर बहुत उत्साह से आए. वह दोनों दौड़ के लिए तैयार हो गए, दौड़ शुरू की गई. खरगोश बहुत तेज तेज भाग रहा था. वहीं दूसरी और कछुआ अपनी चाल के हिसाब से धीरे-धीरे चल रहा था. खरगोश भागते-भागते बहुत आगे पहुंच गया उसने पीछे मुड़ के देखा वहां कोई नहीं था, खरगोश ने सोचा.
जब तक मैं इस पेड़ के नीचे थोड़ा आराम कर लेता हूं और वही पेड़ के नीचे लेट गया उसकी आँख कब लग गई उसे पता ही नहीं चला. वहीं दूसरी और कछुआ अपनी पूरी मेहनत और लगन के साथ धीरे-धीरे अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ता रहा. कछुआ की जीत देखकर सभी जानवर खुशी से तालियां बजाने लगे तालियो की आवाज सुनकर खरगोश की आँख खुल गई और वह दौड़कर जीत की रेखा तक पहुंचा. जब तक कछुआ जीत की रेखा पार कर चुका था. खरगोश पछताता रह गया.
एक कंपनी के मैनेजर ,शाम, को अपनी कंपनी के लिए एक चौकीदार की जरूरत थी. उसने सभी जगह इश्तहार दिया कि उसे एक चौकीदार की जरूरत है उसने बहुत सारे इंटरव्यू लिए फिर भी उसे कोई भी व्यक्ति चौकीदारी करने के लिए समझ में नहीं आया.
अगले दिन उसने फिर से कई इंटरव्यू लिए आखिर में उसके पास एक रामू नाम का व्यक्ति आया. रामू का इंटरव्यू जैसे ही शुरू हुआ. मैनेजर साहब ने उसे सवाल किया, कि तुम बहुत थके लग रहे हो. क्या तुम्हें कोई बीमारी है ?रामू ने मैनेजर साहब को जवाब दिया नहीं साहब मैं बीमार नहीं हूं, मुझे ऐसी कोई बीमारी नहीं है. किंतु मुझे रात में नींद नहीं आती है जिसकी वजह से मुझे दिन में थकावट लगती है.
रामू की बात सुनकर मैनेजर शाम ने उसे तुरंत नौकरी पर रख लिया. उन्हें पता था कि रामू जैसा चौकीदार उन्हें नहीं मिलेगा. क्योंकि वे चाह के भी रात में नहीं सो सकेगा. इसलिए उसकी चौकीदारी की नौकरी पक्की हो गई.
Moral of tale story: हमें कभी भी किसी भी परिस्थितियों में अपनी सच्चाई नहीं छुपानी चाहिए.
एक गांव में रहने वाले दो दोस्त थे। उनका नाम कमल और रमन था। दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे. और उनकी दोस्ती बहुत मजबूत थी.दोनो जो वादा करते उसे निभाते,और दोनो एक दूसरे की सहायता करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे।
एक दिन कमल के पास रमन की मोटरसाइकिल हीरो होंडा आई। तो कमल उसे देखते ही लालच मे आ गया और उसने उसे अपने पास रख लिया जाए। इसके बाद सोचने लगा कि वह उसे बेचने का प्रयास कर सकता है, जिससे वह पैसे कमा सकता है।
लेकिन कमल को याद आया कि ये मोटरसाइकिल उसके दोस्त रमन की है।जो उसका सबसे अच्छा और सच्चा दोस्त है.वह जल्दी से सच्चाई के रास्ते पर चलते हुए, मोटरसाइकिल रमन को वापस कर देता है। रमन अपने दोस्त कमल की बहुत प्रशंसा करते हुए उसका धन्यवाद करता है.
Moral of tale story: ईमानदारी और सच्चाई सच्ची मित्रता है और आपसी सम्बन्धों का महत्व बढ़ाती हैं। हमेशा अपनी सच्ची मित्रता को मजबूत बनाए रखें और दूसरों की मदद करने का प्रयास करें।
एक दिन की बात है, की दो बहुत अच्छे दोस्त थे. शाम और राम इन दोनो दोस्तों के बीच एक यात्रा का प्लान बनाया गया। जिसमे सभी दोस्तो को शामिल किया गया. सभी दोस्तो ने एक साथ शहर की यात्रा करने का सोचा। शाम ने प्रस्ताव रखा कि हमें रेलवे स्टेशन से बिना टिकट गाड़ियों मे यात्रा करनी चाहिए।
लेकिन दूसरी ओर दूसरे दोस्त राम ने सच्चाई बताई कि, हमारा बिना टिकट यात्रा करना गलत होगा. और वहां पुलिस का अनुशासन रहता है। जिससे हम जेल भी जा सकते है. उसने सभी को टिकट खरीदने का सुझाव दिया, ताकि यात्रा करने के दौरान कोई भी परेशानी न हो. उन सभी ने राम का कहना माना और यात्रा के लिए टिकट लिया. उन सभी की यात्रा सफलतापूर्वक हुई.
Moral of tale story:
एक समय की बात है, एक गांव में एक गरीब लड़की रहती थी। वह गरीबी होने के बावजूद बहुत सच्छी और ईमानदार थी। पढ़ाई मे भी होनहार थी, वह अपनी मां का कहना मानती, उनकी देखभाल करती. एक दिन जब वह बाज़ार से सामान लेने जा रही थी,तब उसे रास्ते में एक सोने की चेन मिली। लड़की काफी खुश हो गई. लेकिन उसे पता था कि यह चेन किसी अमीर व्यक्ति की होगी।
लड़की बहुत गरीब थी, तभी एक पल मे ही लड़की ने सोचा के मैं बजार जाकर इस चेन को बेच देती हूं. लेकिन उसे याद आया कि सच्चाई और ईमानदारी हमारी अहमियत को बढ़ाती हैं। वह उस चेन को पुलिस स्टेशन ले गई और उसने चेन की वापसी कर दी। पुलिस वाले ने इसके लिए उसे सराहा और उसे इंसाफ़ी इनाम दिया।
Moral of tale story: हमेशा हमे सच्चाई और ईमानदारी पर अड़े रहना चाहिए। क्यूंकि सच्चाई और ईमानदारी की शक्ति हमें सदैव उच्चताओं की ओर ले जाती है।
Motivational Story in hindi – एक छोटी सी लड़की थी जिसका नाम रमा था.जिसे सब लोग बहुत प्यार करते थे.रमा को अंधेरे से बहुत डर लगता था। इतना डर के वह अकेले कमरे मे भी नही जाती थी .वह हर रात रोती और अपने माता-पिता से कहती थी. कि मुझे अंधेरे से बहुत डर लगता है। उसके माता-पिता उसे बहुत समझाते के अंधेरे से कुछ नहीं होता, तुम्हे अंधेरे से नही डरना चाहिए, लेकिन रमा नहीं मानती.
एक दिन, रमा की माँ ने उसे समझाने के लिए एक कहानी सुनाई। कहानी में एक नन्ही सी परी थी. जो अंधेरे से बहुत डरती थी। परी ने अपने डर को दूर करने के लिए चाँद की रोशनी का सहारा लिया जो हर रात आ जाता उसकी खिड़की पर और इतना चमकता की उसकी रोशनी से सारा अंधेरा चला जाता. जिससे परी का डर खत्म हो गया.
रमा को कहानी बहुत अच्छी लगी। उसने भी अपनी खिड़की से चाँद की रोशनी को देखना शुरू के दिया.अब जब भी रमा को डर लगता तो वह चाँद को देखती. उसकी रोशनी से रमा का सारा डर खत्म हो जाता .अब रमा अंधेरे से डरती नही है.
Moral of tale story:डर को दूर करने के लिए हमें प्रकाश की आवश्यकता होती है। प्रकाश हमें आशा और सुरक्षा देता है। जब भी हम डरते हैं, तो हमें अपने आस-पास रोशनी खोजने की कोशिश करनी चाहिए.
एक बहुत ही अमीर औरत थी। वो अपनी बेटी से बहुत प्यार करती थी. लेकिन बेटी की किसी बुरी आदत से परेशान थी। वो जब भी अपनी बेटी को ,उस आदत को करते देखती तो उसे समझाती और आदत को छोड़ने के लिए कहती थी तब उसकी बेटी अपनी मां से कहती मां मै अभी तो बहुत ही छोटी हूं . समय आते ही में धीरे – धीरे ये आदत छोड़ दूंगी! लेकिन उसकी बेटी कभी भी उस आदत को छोड़ने का प्रयास नहीं करती थी। उसकी मां उसकी आदत से बहुत परेशान थी.
कुछ दिनों के बाद उसके पिता दूसरे शहर से आए मां ने पिता को सब बताया. उसके पिता उसे गांव के एक महात्मा के पास ले गए। और महात्मा को अपनी समस्या बताई। महात्मा ने उनसे कहा की आप अपनी बेटी को कल सुबह बगीचे में लेकर आइये में वही आपकी समस्या का समाधान करुगा।
अगले दिन पिता और बेटी दोनों बगीचे में पहुंच गए। महात्मा ने बेटी से कहा की आओ बेटी हम दोनों बगीचे की सैर करते है । बगीचे में सैर करते – करते महात्मा अचनाक रुक गए और लड़की को समझाने के लिए महात्मा ने लड़की से कहा की क्या बेटी तुम इस पौधे को उखाड़ सकती हो ? बेटी ने कहा जी ज़रोर इसमें कोनसी बड़ी बात है और ऐसा बोलते ही उसने पौधे को बड़ी ही आसानी से उखाड़ दिया।
धीरे – धीरे आगे बढ़ते हुए महात्मा ने बड़े पौधे की तरफ इशारा करते हुए बेटी से कहा की क्या तुम इस पौधे को उखाड़ सकती हो ? बेटी को तो इस काम में मज़ा रहा था वो बोली जी बिलकुल उखाड़ सकती हूं। इस बार बेटी को ये काम करने में थोड़ी ज्यादा मेहनत करनी पड़ी पर कुछ प्रयत्नो के बाद उसने पौधे को उखाड़ ही लिया ।
कुछ देर बाद थोड़ा आगे बड़े वो दोनों और फिर महात्मा ने एक नीम के पेड़ की तरफ इशारा करते हुए बेटी से कहा की क्या तुम ये पेड़ को उखाड़ सकती हो ? बेटी ने पेड़ को पकड़ा और फिर ज़ोर–ज़ोर से खींचने लगी। बहुत प्रयत्न करने के बावजूद भी वो पेड़ को नहीं उखाड़ सकी । बेटी ने महात्मा से कहा की इस पेड़ को उखड़ना तो असंभव है क्योकि ये पेड़ तो बहुत ज़्यादा मज़बूत है ।
महात्मा ने बेटी को समझाते हुए कहा की बेटी ठीक इसी तरह बुरी आदतों का साथ होता है। जब हमारी बुरी आदत नयी होती है तब तक हम उसे आसानी से छोड़ सकते है। जैसे ही हमारी बुरी आदते पुरानी हो जाती है तब उसे छोड़ना मुश्किल हो जाता है और कई बार तो नामुनकिन हो जाता है। बेटी को ये बात समझ मे आ गई. और उसने फैसला लिया के वो अब अपनी बुरी आदत को धीरे धीरे कर के छोड़ देगी.
Moral of tale story: हम अपनी बुरी आदतों को आसानी से छोड़ सकते है जब तक वो नयी होती है। कुछ वक्त के बाद हमारे लिए अपनी पुरानी आदतों को छोड़ना मुश्किल या फिर नामुनकिन हो जाता है।
सोनू मोनू दो भाई थे। दोनों खूब खेलते, पढ़ाई करते और कभी-कभी खूब लड़ाई भी करते थे। दोनो अपनी मां का कहना मानते. एक दिन दोनों अपने घर के पीछे खेल रहे थे। वहां एक कमरे में बिल्ली के दो छोटे-छोटे बच्चे थे। बिल्ली अपने बच्चो के साथ वहा रहती थी. बच्चो की मां कहीं गई हुई थी , दोनों बच्चे अकेले थे। उन्हें भूख लगी थी इसलिए खूब रो रहे थे. बिल्ली अभी तक घर नहीं आई थी. सोनू ,मोनू ने दोनों बिल्ली के बच्चों की आवाज़ सुनी और वह दोनो बच्चो के पास गए. और अपने दादा जी को बुला कर लाए।
दादा जी ने देखा तो दोनों बिल्ली के बच्चे भूखे थे। दादा जी ने उन दोनों बिल्ली के बच्चों को खाना खिलाया और एक एक कटोरी दूध पिलाया। इतने मे बिल्ली आ गई. अपने बच्चो को देखकर बिल्ली बहुत खुश हो गई दादा जी ने बिल्ली को भी दूध पिलाया उसकी भूख शांत हो गई। दोनों बच्चे आपस में खेलने लगे। इसे देखकर सोनू मोनू बोले दादा जी आपने बिल्ली के बच्चो की मदद करी है जिससे बिल्ली बहुत खुश होइ. दादा जी ने सोनू मोनू को शाबाशी देते हुए कहा हमे हमेशा दोसरो की मदद करनी चाइए
Moral of tale story: हमे हमेशा सबकी मदद करनी चाहिए और ये याद रखे की दूसरों की भलाई करने से ख़ुशी मिलती है।
बरगद के पेड़ पर एक चुनमुन नाम की चिड़िया रहती थी। उसने बहुत सुंदर घोंसला बनाया था। जिसमें उसके छोटे-छोटे बच्चे भी साथ में रहते थे। वह बच्चे अभी उड़ना नहीं जानते थे, इसीलिए चुनमुन उन सभी को खाना ला कर खिलाती और उनका खयाल रखती थी.
एक दिन जब बरसात तेज़ हो रही थी। तभी चुनमुन के एक बच्चे को बहुत भूख लगने लगी। बच्चा खूब ज़ोर से रोने लगा, इतना ज़ोर से वो रोया के देखते-देखते सभी बच्चे रोने लगे। चुनमुन को अपने बच्चों का रोना अच्छा नहीं लग रहा था। वह उन्हें चुप करा रही थी, किंतु बच्चे भूख से तड़प रहे थे इसलिए वह चुप नहीं हो रहे थे।एक मां को अपने बच्चों की तड़प देखी नही जा रही थी.
चुनमुन सोच में पड़ गई , इतनी तेज़ बारिश में खाना कहां से लाऊंगी। उसने सोचा अगर खाना नहीं लाई तो बच्चो की भूख कैसे शांत होगी। उसके बाद चुनमुन ने एक ना सोची अपनी जान जोखिम मे डाल कर चुनमुन ने एक लंबी उड़ान भरी और पंडित जी के घर पहुंच गई।
पंडित जी ने प्रसाद में मिले चावल दाल और फलों को आंगन में रखा हुआ था। चिड़िया ने उन्हें देखा और बच्चों के लिए अपने मुंह मे ढेर सारे चावल रख लिये। और झटपट वहां से उड़ गई।
घोसले में पहुंचकर चिड़िया ने सभी बच्चों को चावल का दाना खिलाया। बच्चों का पेट भर गया, वह सब चुप हो गए और आपस में खेलने लगे। चुनमुन ये सब देख कर खुश हो गई.
Moral of tale story: संसार में मां की ममता का कोई जोड़ नहीं है अपनी जान जोखिम में डालकर भी मां अपने बच्चों के हित में कार्य करती है।
राधा बहुत प्यारी लड़की है। उसे घर के सभी लोग बहुत प्यार करते है.राधा कक्षा दूसरी में पढ़ती है। एक दिन उसने अपनी किताब मेंरेलगाड़ी देखी। वो रेलगाड़ी को देख के बहुत खुश हुई उसे अपनी रेल – यात्रा याद आ गई, जो कुछ दिन पहले उसने पापा-मम्मी के साथ की थी। राधा ने चौक उठाई और फिर क्या था, दीवार पर रेलगाड़ी का इंजन बना दिया।
उसमें पहला डब्बा जुड़ गया, दूसरा डब्बा जुड़ गया , जुड़ते – जुड़ते कई सारे डिब्बे जुड़ गए। जब चौक खत्म हो गई. राधा उठी उसने देखा कक्षा के आधी दीवार पर रेलगाड़ी बन चुकी थी।
फिर क्या हुआ – रेलगाड़ी दिल्ली गई , मुंबई गई , अमेरिका गई , नानी के घर गई , और दादाजी के घर भी गई। राधा बहुत खुश हो गई.
Moral of tale story:बच्चों के मनोबल को बढ़ाइए कल के भविष्य का निर्माण आज से होने दे।
पहले समय की बात है, एक गांव में बहुत सारे मुर्गे रहते थे। जो रोज़ बांग देते जिससे सभी गांव वाले समय से उठ जाते थे. एक बार गांव के बच्चे ने किसी एक मुर्गे को तंग कर दिया था।
मुर्गा परेशान हो गया, उसने सोचा अगले दिन सुबह मैं आवाज नहीं करूंगा। सब सोते रहेंगे तब मेरी अहमियत सबको समझ में आएगी, और मुझे बच्चे तंग नहीं करेंगे।
मुर्गा अगली सुबह कुछ नहीं बोला। फिर भी सभी लोग समय पर उठ कर अपने-अपने काम में लग गए. इस पर मुर्गे को समझ में आ गया. कि किसी के बिना कोई काम नहीं रुकता। सबका काम चलता रहता है। हमे कभी खुद पर घमंड नहीं करना चाहिए.
Moral of tale story: हमे कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए, आपकी अहमियत लोगो को बिना बताये पता चलती है।
एक जंगल मे एक लोमड़ी रहती थी उसने कभी शेर नही देखा था. ज़िन्दगी मे पहली बार जब उसने शेर देखा, तो उसके लम्बे बाल, भयानक शरीर, डरावनी दहाड़, उसकी राजा की तरह चाल ढाल देख के लोमड़ी बहुत डर गई. और डर के मारे वही बेहूश होकर गीर पड़ी.
अगले दिन लोमड़ी ने फिर से शेर को देखा आज भी वह बहुत डरी थी. लेकिन उसने अपने साहस को जुटाया और अपने डर को छिपाने की कोशीश की और वहां से भाग गई, तीसरे दिन उसने फिर शेर को देखा किन्तु आज इस्तिथि पूरी तरह बदल चुकी थी। लोमड़ी सीधे शेर के पास पहुंच गई।
और बोली ” जय महाराज जी सब ठीक ठाक है ” वो शेर से बिलकुल परिचितों की तरह बात करने लगी। उसे अब बिलकुल भी डर नही लग रहा था. पिछले दो दिनों से वो लगातार शेर को देख-देखकर उससे परिचित हो गई थी।
Moral of tale story: इसलिए कहा गया है की परिचय होने पर साहस मिलता है।
बहुत समय पहले की बात है. रामगढ़ के पास नीम का एक बहुत बड़ा पेड़ था। पेड़ के ऊपर एक कौआ और एक हंस दोनों अच्छे पड़ोसी की तरह रहा करते थे। दोनों के विचारो मे बड़ा अंतर था। हंस तो अच्छे विचारों का था, किंतु कौआ बड़ा ही गलत स्वभाव का था।
एक दिन दोपहर का समय था। गर्मी बहुत हो रही थी। तभी एक शिकारी थका-मांदा नीम के पेड़ के नीचे बैठा। शिकारी धनुष बाण को बगल में रख कर पेड़ की ठंडी छाया में गहरी नींद में सो गया. सोए हुए शिकारी के चेहरे पर नीम के पत्तों से छनकर आती हुई सूरज की धूप पड़ रही थी।
हंस ने देखा तो उसके मन में दया आ गई. उसने सोचा कि शिकारी थका हुआ और गहरी नींद में है। कहीं ऐसा ना हो कि चेहरे पर धूप पड़ने के कारण उसकी नींद में बांधा आए. अतः उसने नीम के पत्तों के बीच में अपने पंख फैला दिये। जिससे धूप की जगह पर छाया शिकारी के मुंह पर पड़ने लगी।
कौआ हंस के सज्जनता पूर्ण कार्य को देखकर कौआ जल गया. और उसने नीचे जाकर शिकारी के चेहरे पर जाकर मूत्र कर दिया. जिससे शिकारी की नींद खुल गई। वो गुस्सा हो गया। कौआ तो चेहरे पर मूत्र करके उड़कर दूसरे पेड़ पर चला गया. किंतु हंस अपने स्थान पर ही बैठा रहा। उसे शिकारी से डरने की क्या ज़रूरत थी? क्योंकि उसने तो शिकारी के प्रति अच्छा व्यवहार किया था। और उसे सुख पहुंचाने का प्रयत्न किया था।
शिकारी ने गुस्सा होकर जब पेड़ के ऊपर देखा तो, उसे डाल पर बैठा हुआ हंस दिखाई दिया। उसने सोचा कि हो ना हो इस हंस ने ही मेरे ऊपर मूत्र विसर्जन किया है। उसने धनुष को उठाया और उस पर बाण चढ़ाकर हंस की ओर चला दिया. बाण हंस के सीने मे लग गया। और वह ज़मीन पर गिर पड़ा और छटपटा कर मर गया।
शिक्षा – हंस की मृत्यु गलत संगति कौवे के साथ रहने के कारण हुई. जो लोग गलत की संगति में रहते हैं. वे हंस की तरह बिना गलती के फस जाते है।
एक बार की बात है के एक आलसी टिड्डा दिन भर बैठा रहता था। कोई काम नही करता था। यहां तक वो इतना आलसी था के उसे अपने खाने की भी फिकर नही थी।
वही दूसरी ओर एक चींटियो का समूह था। जो सर्दियों के लिए, खाना इखट्टा करने के लिए रात दिन कड़ी मेहनत कर रहा था। आलसी टिड्डा इन चींटियो के समूह को मेहनत करता देख उन पर हसता रहता था।
किन्तु जब सर्दियां आई तो चींटियो के पास बहुत खाना था। और टिड्डे के पास खाने के लिए कुछ नही था। टिड्डे ने एक बात सीखी, उसे भी मेहनत का फल मिल सकता था। अगर उसने भी मेहनत की होती। उसका आलस उसकी परेशानी का कारण बन जाता है।
Moral of tale story: हमे अपने भविष्य के लिए पहले से ही तैयार रहना चाहिए। और अपनी कड़ी मेहनत से आगे बढ़ते रहना चाहिए क्योंकि कड़ी मेहनत ही सफलता की कुंजी है।
एक बार की बात है एक काली बकरी और एक भूरी बकरी दोनो कहीं जा रही थी। तभी उन्हें रास्ते मे एक पुल मिला। पुल बहुत पतला था। इतना पतला के एक बार एक ही निकल सकता था। तभी सामने से एक बकरा आ रहा था। पुल पतला होने की वजा से वो लोग पुल के बीचो बीच मिले।
और दोनों एक दूसरे से बोले तुम पीछे हटो- तुम पीछे हटो कहके एक-दूसरे से लड़ने लगे। इतने मे बकरे का संतुलन बिगड़ा गया। और वे सभी लोग नदी में गिरकर डूब गए।
कुछ देर बाद एक बकरी और एक बकरा फिर पुल से गुज़रे। वे दोनों काफ़ी चतुर थे। उनमें से बकरा नीचे बैठ गया और बकरी उसके ऊपर बैठ गई। दोनो सुरक्षित दूसरी ओर चले गए।
Moral of tale story:हमे हमेशा ये याद रखना चाहिए कि क्रोध से हानी और शांत दिमाग से प्रसन्नता व सफलता प्राप्त होती है।
चलो मीना की नानी के घर चलते है। मीना को अपनी नानी का घर बहुत पसन्द है। मीना अपनी नानी से बहुत प्यार करती है। उसे नानी के घर की हर चीज़ बहुत प्यारी लगती, नानी के घर का आंगन जिसमे मीना घंटो खेलती अपने खिलौनों के साथ और पेड़ पर डला झूला झूलती। उसकी नानी भी उसे बहुत प्यार करती। नानी का वो छोटा सा बगीचा जिसके रंग बिरंगे फूल मीना को बहुत लुभाते है, मीना फूलों को छूना चाहती और उन्हें अपने पास रखना चाहती।
उसकी नानी उसे सैर पे लेकर जाती, उसे मेला दिखाती, मिट्टी के खिलौने दिलाती, रस मलाई खिलाती, रात मे जब लाइट चली जाती, तब चिराग की रोशनी मे उसकी नानी उसे कहानियां सुनाती, जिसे सुनते-सुनते वह सो जाती और इन सब मे कब छुट्टियां बीत जाती कुछ पता ही नही चलता, और उसके घर जाने का समय आ जाता। इस आशा मे वो नानी विदा लेती की अगली छुट्टियों मे फिर आएगी। नानी का घर उसे बहुत याद आएगा और नानी की भी बहुत याद आएगी। ये सुनते ही उसकी नानी की आंख से आसू आ जाते।
इस कहानी से हम सबको अपनी नानी के घर कि छुट्टियों के दिन याद आ गए। तभी तो कहते हैं नानी के घर जाने खुशी ही अलग है नानी का प्यार ही अलग है।
Moral of tale story: हमें हमेशा अपने बचपन की अच्छी यादों को साथ रखना चाहिए। जिससे हमें खुशी मिले। जो हमारी यादों मे हमेशा याद रहे जैसे नानी का घर।
बच्चों को कहानी सुनना कैसा लगता है ?
क्या आपको पता है बच्चों को कहानी सुनना क्यों इतना ज्यादा पसंद है इसकी वजह है कि उनको तरह तरह के करैक्टर देखने को मिलते है और तरह तरह की आवाजें भी सुनने को मिलती है जिस वजह से उनको कहानी में बहुग मज़ा आता है ।
मुझे उम्मीद है आपको हमारी Short Stories in hindi लेख पसंद आया होगा ,हम इसमें और भी कहानियां add करते रहेंगे ,हम कुछ लोकल मोटिवेशन कहानियां भी लाएंगे और कुछ देश विदेश की कहानियां भी लाएंगे जो कि real story in hindi होगी और हम कुछ short stories horror भी लाएंगे।
Short Story in hindi लेख को आप अपने परिवार या बच्चों में ज्यादा से ज्यादा शेयर करिए।
जी हा ,हम बच्चों के लिए short story motivational ,inspiration ,learning पर आधारित होती है।